हिंदी
दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
आज हिंदी दिवस है तो सोचा की एक ब्लॉग "हिंदी दिवस"
पर लिखा जाये और ये भी सोचा की आज कोशिश करुँगी
की ज्यादा से ज्यादा हिंदी का उपयोग करुँगी।
शुरुवात किया व्हाट्सप्प स्टेटस से और लिखा "हिंदी दिवस संकल्प करें की
सोशल मीडिया पोस्ट हिंदी में लिखें हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनायें १४ सितम्बर २०२१"
मेरी शिक्षा १२ तक हिंदी माध्यम में हुई उसके बाद अंग्रेजी
में, मुझे याद है की कितनी मुश्किल होती थी अंग्रेजी में फिर भी हमने हार नहीं मानी
क्योकि उस समय टीवी पर अमिताभ बच्चन का शो आता था "कौन बनेगा करोड़पति " और
उसमें वो हमेशा ये कविता बोलते थे "लहरों
से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती। नन्हीं चींटी जब
दाना लेकर चलती है, चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है। मन का विश्वास रगों में साहस
भरता है, चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना नहीं अखरता है। आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती। " इस के रचयिता हैं सोहन लाल द्विवेदी जी
है ।
मुझे आज भी याद है कि कॉलेज के सुरुवाती दिनों में जब सेमिनार्स में एक घंटा इंग्लिश में
बोलना होता था तो कैसे पेट में दर्द होता था। 😄 स्कूल में हिंदी माधयम में पढ़ी हुई थी
और कॉलेज में अंग्रेजी, पर समय ने करवट ली
और आज कई वर्षो के बाद हिंदी दिवस के अवसर पर कुछ हिंदी में लिखने का मन किया, क्योकि
हिंदी लिखें हुए कई दशक बीत गये है।
हिंदी दिवस पर एक और किस्सा याद आता है। काम के सिलसिले में मुझे एक अंतर्राष्ट्रीय मीटिंग
के लिए हनोई वियतनाम जाना हुआ था , ये २०१४ कि बात है। वहाँ पर कई देश के प्रोफेसर आये थे और वो सब इंटरनेशनल
सोशल वर्क टॉपिक पर जानकारी देने वाले थे
, पर वियतनाम में बहुत काम लोग थे जो इंग्लिश समझ सकते थे , फिर क्या किया जाये। सोच
विचार के बाद ये निर्णय लिया गया कि अनुवादक रखे जाये जो इंग्लिश से वियतनामी में अनुवाद
करे। उस दिन लगा कि मातृ भाषा प्रेम अच्छा है पर साथ ही ग्लोबल भाषा (अंग्रेजी ) भी
आनी चाहिए।इस तरह से वो मीटिंग बहुत सक्सेसफुल रही, उसके बाद हर एक वर्ष वियतनाम में
सोशल वर्क एजुकेशन पर मीटिंग/कांफ्रेंस होते रहते है, जिसका लाभ सबको (स्टूडेंट्स एंड
फैकल्टीज ) को होता है। २०१४ मीटिंग के दौरान , एक मित्र प्रोफेसर जो कि मूलतः ग्रीस
से है, पर नौकरी इंग्लैंड में करते है , उन्होंने एक सवाल पुछा कि भारत में लोग अच्छी
इंग्लिश कैसे बोल लेते? क्या अंग्रेजो कि वजह से ? (His sentence was “Indians
speaks good English due to colonization /colonial India”?) वो बताये कि वो भारत किसी
काम कि वजह से आये थे और सबकी इंग्लिश से बहुत प्रभावित हुए थे। वो प्रोफ कोच्ची ( दक्षिण भारत ) आये थे , अगर वो
उत्तर भारत आते तो शायद उनका अनुभव कुछ और होता।
भारत में 200 से अधिक वर्षों तक अंग्रेजों का शासन रहा है,
इसीलिए अंग्रेजी भाषा का प्रभाव यहाँ व्यापक रूप से देखा जा सकता है।अंग्रेजी भारतीयों
की वजह से दुनिया में दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है क्योंकि भारत में अंग्रेजी
बोलने वालों की सबसे बड़ी संख्या है। पर भारतीयों कि इंग्लिश अच्छी होने के बहुत से
कारन है ,उसके लिए अलग से एक ब्लॉग लिखना पड़ेगा 😄
हिंदी मेरी मातृ भाषा है और इंग्लिश कर्म भाषा (ऑफिसियल
वर्किंग भाषा ) इसलिए मुझे दोनों से प्यार है।
ये कहना ज्यादा बेहतर होगा कि मुझे हर भाषा अच्छी लगती है और थोड़ा बहुत सीखने
का मन करता है , इसलिए समय समय पर थोड़ी सी मराठी, पंजाबी सीखी और अंतरष्ट्रीय भाषा
में स्पेनिश , फ्रेंच कि कोशिश करती रहती हूँ।
जय हिन्द 💖 , जय माँ भारती🙏